चीन के 'वुहान’ से पैदा हुआ ‘कोरोना वायरस’ आज भस्मासुर बन चुका है। इसने चीन के साथ-साथ पूरी दुनिया को तबाह करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है। सभी देश इस वायरस से त्राहिमाम-त्राहिमाम कर रहे हैं लेकिन इस वायरस से लड़ने के लिए अभी तक किसी के पास कोई ‘वेक्सिन’ नहीं आया है। इसका एकमात्र उपचार ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ है। दूसरे शब्दों में कहे तो यह छूआछूत की बीमारी है जिसका बचाव सिर्फ और सिर्फ लोगों से दूरी है। यह वायरस बुर्जगों के लिए अधिक खतरनाक है। तभी तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के नाम संबोधन में खास हिदायत दी थी कि 60 साल से ऊपर के बुर्जग घर से बाहर बिल्कुल भी ना निकले। हम जानने की कोशिश करते हैं कि बुर्जगों के लिए यह बीमारी क्यों अधिक खतरनाक है ?
‘कोरोना वायरस’ से देश भर में अब तक लगभग 19हजार लोगों की मौत हो चुकी है। 5 लाख के करीब लोग इससे संक्रमित हो गए हैं। कई हजार लोग इस वायरस से ठीक भी हुए हैं। पूरे देश में मरनेवालों की संख्या पर गौर करें तो यह बात सामने आती है कि सबसे अधिक मौतें बुर्जगों की हुई है। इसका कारण है ‘इम्युनिटी पावर’। ‘इम्युनिटी पावर’ जिसे ‘रोग निरोधक क्षमता’ भी कहते हैं। इसका काम होता है कि यह हमारे शरीर को रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है। अगर शरीर में इम्युनिटी पावर मजबूत रहता है लोग किसी भी बीमारी से आसानी से लड़ सकते हंै। यही कारण है कि जब भी किसी रोगी को कोई दवा दी जाती है तो उसके साथ अधिकांशतः ‘एंटीबायोटिक’ दवा भी दी जाती है। यह ‘एंटीबायोटिक’ दवा लोगों में बीमारियों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाती है। इस कारण से व्यक्ति किसी भी बीमारी से जल्दी से निकल पाता है।
यह इम्युनिटी पावर यानि रोग निरोधक क्षमता बच्चों और बुर्जगों में कम होती है। जिस कारण से कोई भी बीमारी इन पर जल्दी आक्रमण करती है। संभवतः यही इस वायरस के साथ भी हो रहा है। यह अटैक तो सब पर कर रही है लेकिन वैसे बुर्जग जिनकी ‘इम्युनिटी पावर’ कम होती है वे इस बीमारी को झेल नहीं पाते हैं। वहीं अगर किसी नौजवान की बात करें तो बीमारियों से उसके लड़ने की क्षमता अधिक होती है।
दूसरी ओर वैसे बुर्जग जिन्हें हार्ट प्रॉब्लम, ब्लड प्रेशर, शुगर जैसी बीमारी होती है उन्हें इस समय अधिक सर्तक रहने की जरूरत है। इसका कारण है कि अन्य बीमारियों के कारण बुर्जगों का शरीर पहले से ही कमजोर होता है। वैसी स्थिति में किसी भी वायरस का संक्रमण बुर्जगों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है।
कोरोनों से हुई मृत्यु दर के आंकड़ों को देखे तो 9साल तक के बच्चों में 0 प्रतिशत, 10-39 वर्ष तक के लोगों में 0.2प्रतिशत, 40-49 वर्ष तक के लोगों में 0.4 प्रतिशत, 50-59 वर्ष तक के लोगों में 1.3 प्रतिशत, 60-69 वर्ष तक के लोगों में 3.6प्रतिशत, 60-69 वर्ष तक के लोगों में 3.6 प्रतिशत , 70-79 वर्ष तक के लोगों में 8 प्रतिशत, 80 से ज्यादा वर्ष के लोगों में 14.8प्रतिशत है। इन आंकड़ों से अदांजा लगाया जा सकता है कि बुर्जगों के लिए यह बीमारी कितनी घातक साबित हो सकती है।