जीवन की शुरुआत में
होता हर मनुज अकेला
नियति को भुगत भू पर
जाता भी नितांत अकेला
जीवन भर भूला रहता है
माया के विविध संजालों में
खोया और उलझा रहता है
जीवन के विविध बवालों में
खाली हाथ ही जाना सबको
भूल जाता वह यह कटु सच
विधि की मायावी जालों से
नहीं पाता अंतकाल में बच