कभी कभी हम किसी से ऐसे प्रश्न कर देते हैं कि उत्तर देने वाले के लिए उस सवाल का सामना करना और जवाब देना कठिन हो जाता है । जैसे सरिता ने मुक्ता से पूछ लिया कि तुम इतनी काली क्यों हो ॽअब ज़रा बताइए कि क्या जवाब देती मुक्ता इस बात का ।शरीर का रंग तो प्रकति की देन है । फिर उसका कारण कैसे बताया जा सकता है ।इस तरह कुछ अजीब से सवाल करके हम सामने वाले को दुखी कर देते हैं । अपनी शारीरिक कमियों का कारण भला कोई कैसे बता सकता है । इनमें से कुछ कमियां तो विज्ञान के चमत्कारों से और मेडिकल साइंस की तरक्की से दूर की जा सकती है, लेकिन कुछ कमियां ऐसी है कि जिन पर इंसान का काबू नहीं है वह चाह कर भी कुछ नहीं कर सकता ।
एक पैर में प्राब्लम होने से राधा थोड़ा लंगड़ा कर चलती थी इस वजह से राधा खुद से ही परेशान थी इस पर लोग उससे बार बार सवाल करके उसे और परेशान कर देते है । दिव्यांग लोगो किया किसी कमी से ग्रसित लोगों की इच्छा होती है कि वें अपनी कमियों को भुला कर सुख से जीना चाहते हैं , आखिर उन्हें भी तो जीने का अधिकार है । लेकिन लोग उनकी परेशानीय़ो को समक्षना ही नहीं चाहते । मेरे एक दोस्त है उनकी बेटी हार्मोन्स डिसारड के कारण अपनी पूरी लम्बाई नहीं ले पाई तो वहीं एक बेटी को बोलने में दिक्कत होती है इस बात को लेकर उनके माता-पिता खुद ही परेशान रहते हैं ऊपर से पूछने वालों का क्या कुछ न कुछ पूछ लेते हैं क्यों तुम्हारी लम्बाई नहीं बढ़ रही नाटी ही रहोगी क्या शादी कैसे होगी वगैरह-वगैरह और साथ में कुछ न कुछ नुस्खा बता कर चले जायेंगे ।अब ये बताए जिसकी बच्चियां है उन लोगों ने भी तो कुछ सोचा होगा उनके लिए ।
किसी की कमी के बारे में पूछने से बेहतर है कि उनमें आत्मविश्वास भरा जाये कि वे अपनी इच्छा से जी सके । इसलिए हम सभी को यह ध्यान रखना चाहिए कि शारीरिक अक्षमता क्षेल रहे व्यक्ति से बार बार ऐसे सवाल न करें कि उसका मन दुखी हो उसमें हिम्मत और आत्मविश्वास भरा जायेगा ।
मंजू ओमर
क्षांसी