वीरों का सम्मान
फैलाकर जग में कोरोना, उसने, उसने तो अपराध किया,
बात छुपा कर उसने जग पर, कैसा ये आघात किया,
विश्व स्वास्थ्य की ना जाने अब, यह कैसी मजबूरी है, उस पाखंडी को इसने तो, बस ऐसे ही माफ किया।
चमगादड़ सेना अब उसकी, सीमाओं पर लेटी है,
वह भूमि का माफिया है , उसकी अजब ये हेठी है,
विश्व युद्ध की आहट ने , सारे जग को बेचैन किया,
चोरी उस पर सीनाजोरी , फिर भी उसकी शेखी है।
भारत के वीरों ने भी अब , अपने मन में ठान लिया,
दुश्मन की क्या चालाकी है , उसको सब ने जान लिया,
अब तो प्राणों की आहुति, बलिवेदी पर देनी है,
मां की रक्षा में ना जाने , कितनों ने बलिदान दिया।
अब तो भारत की आवाजें , एक सुर में गान करें,
लड़ना होगा फिर लड़ लेंगे, ना ऐसे अपमान करें,
देश की खातिर जान लुटाने , की जिन्होंने ठानी है,
आओ हम सब मिलकरअपने , वीरों का सम्मान करें।
(प्रफुल्ल चन्द्र मठपाल)