देशभर में लॉकडाउन का साकारात्मक असर अब वातावरण पर दिखने लगा है। 90 से अधिक शहरों में पिछले कुछ दिनों में न्यूनतम वायु प्रदूषण दर्ज किया गया है | सुबह में चिड़ियों की चह-चहाहट एक बार फिर सुनाई देने लगी है। वायु की गुणवत्ता में सुधार हो रहा है। देश की राजधानी दिल्ली का वायु प्रदूषण 5 साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है। विशेषज्ञों ने इसे वैक-अप काॅल कहा है। कोरोना के प्रभाव को कम करने के लिए लॉकडाउन के कारण सड़कों पर यातायात पर प्रतिबंध लगा हुआ है। वहीं कहीं भ्ीा निर्माण कार्य नहीं किया जा रहा है। इसका साकारत्मक असर वातावरण पर दिखाई देने लगा है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड(ब्च्ब्ठ) के ताजा डाटा के अनुसार, 103 शहरों में से 90 से अधिक शहरों में पिछले कुछ दिनों में न्यूनतम वायु प्रदूषण दर्ज किया गया है। जानकारों ने इसे वेक-अप कॉल कहा है और कहा कि हमें अभी के हालात से सीख लेनी चाहिए और इसे आगे भी रखना चाहिए। इसके लिए जनता से घरों में रहने और अनावश्यक यात्रा से बचने का आग्रह किया|
इन शहरों में घटा स्तर - सरकार द्वारा संचालित सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च ) के अनुसार, कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण जो उपाय किए गए हैं उसका परिणाम हैं कि वायु प्रदूषण गिरावट दर्ज की गई है। राजधानी दिल्ली के पीएम 2.5 में 30 फीसद की गिरावट आई है। दिल्ली हीं नहीं कई अन्य शहरों में भी गिरावट दर्ज की गई है। अहमदाबाद और पुणे में इसमें 15 फीसद की कमी आई है।
रिपोर्ट के अनुसार, नाइट्रोजन ऑक्साइड (एनओएक्स) प्रदूषण अधिक वाहनों के चलने से होता है। यह नाइट्रोजन ऑक्साइड श्वसन प्रक्रिया के लिए खतरनाक होता है। लाॅकडाउन के कारण छोटे से बड़ी सभी गाड़ियां बंद है। फैक्ट्रियों में बंदी है और निर्माण कार्य रूका हुआ है। सिर्फ जरूरी समानों के लिए गाड़ियों की आवाजाही हो रही है। ऐसी स्थिति में एनओएक्स के लेवल में भी कमी आई है। पुणे में 43 प्रतिशत, मुंबई में 38 प्रतिशत, दिल्ली में 42 प्रतिशत, मुंबई में 68 प्रतिशत, कोलकाता में 49 प्रतिशत, बैंगलुरु में 37 प्रतिशत और अहमदाबाद में 50 प्रतिशत एनओएक्स प्रदूषण की कमी आई है।
सफर के एक वैज्ञानिक ने कहा कि आम तौर पर मार्च में प्रदूषण मध्यम श्रेणी (एयर क्वालिटी इंडेक्स रेंज 100-200 होता है। वर्तमान में यह संतोषजनक एक्यूआइ 50-100 या अच्छी एक्यूआइ 0-50 श्रेणी का है। वैज्ञानिक का कहना है कि यह लॉकडाउन का प्रभाव है। उद्योग, निर्माण और यातायात को बंद करने जैसे स्थानीय कारकों ने वायु की गुणवत्ता को सुधारने में योगदान दिया है।
कोरोना वायरस के कारण लाॅकडाउन में आ रही नाकारात्मक खबरों के बीच यह एक साकारात्मक खबर है। इस खबर ने लोगों केा प्रेरित किया है कि अगर जनता चाहे तो यह स्थिति इससे भी बेहतर बन सकती है। पर्यावरणविदों ने इसे वेकअप कॉल कहते हुए इस विकास के जुनून को आगे बढ़ाने का आग्रह किया है। उम्मीद है वायु की गुणतत्ता में और सुधार होगा।