A Life of 60 Second.
ये कहानी है उन अमीरोंकी,
सड़क किनारे जिनका बसेरा है ।
सिर पे भलेही छत ना हो,
पर खुशियोंका यहाँ ठेला है ।
जी हां ये कहानी है उन चेहरोंकी जिनकी जिंदगी आसान तो नही पर फिर भी इनके चेहरो पे मुस्कान है, दिल में आशा और कहि ना कही कल के रोशनी के ख्वाब है । ये वो लोग है जिनकी जिंदगी लाल सिग्नल से शुरू होती है और सिग्नल के हरा होने पे थमती है । हम अक्सर इन्हें नजर अंदाज करते है, इन्हें देख गाड़ीके कांच बंद करते है पर आखिर ये मांगते ही क्या है जनाब ?? ये तो बस अपनी जिंदगी से जंग लढते रहते है । नसीब ने इनका साथ नही दिया फिरभी उसको दोषी ना ठहराकर शायद यही जिंदगी है ये मानकर जी रहे होते है और भिक का सहारा न लेकर ये अपने पेट के लिए काम करते रहते है ।
शायद आपनेभी सिग्नल की उस भीड़ में ऐसे मासूम देखे होंगे जिनके हाथों में फूलो से लेकर खिलोने तक होते है जिनकी किमत बस कुछ रुपये होती है । पर फिर भी ये चींजे हमे महंगी लगती है क्योंकि इन्होंने किसी सेल्समन की तरह सूट बूट पहने नही होते, नाही ये चींजे किसी शोरूम की तरह रखी होती है । आप इन्हें देख अपनी गाड़ियोंके शीशे बंद करते है फिर भी इनकी जिद्दो जहद चलती रहती है क्योंकि ये लड़ाई पैसोकि नही बल्कि ईमानदारी की रोटी की होती है । आप उस रेड लाइट में अपनी गाड़ी में सुकून से बैठे होते है पर उसी 60 सेकंड की रेड लाइट में इनकी नसीब आजमाने की लड़ाई शुरू रहती है तो कभी वक्त मिले तो एक नजर इनपे भी डालना शायद जिंदगी का सही मतलब मालूम हो जाए और मौका मिले तो अपने शीशे खोल कुछ जीचे इनसे भी लेना शायद आपके पैसो से इन्हें रोटी के साथ हौसला भी मिल जाए क्योंकि ये जंग सिर्फ पैसों की नही होती बल्कि 60 सेकंड की लाइफ की होती है...।
Written By -
Prasad G.