अरमानो के पंख लगाये, हौसलो की लेकर उडान,
धारातल कॊ नापते हुए, पँखोपर तौले आसमान.....
तकनिकी का लेकर सहारा, चढे कठीण सी चट्टान,
आंखो मे कुछ सपने लेकर, नित्य धरे ध्येय का ध्यान.......
ऐसी हस्तीं कुछ अपनेही जैसी, तब कहलाती हैं महान,
जब करती कुछ अद्भुत, अनुपम, और संभाले शिवधनुष्य की कमान...........