(रात के समय राहुल,समीर और उनकी मां साथ में बातें करते हुए आंगन में बैठे हुए हैं।)
समीर :- झूठ मत बोलो राहुल!.. ..राहुल मैंने तुम्हें कितनी बार....(इस दौरान रात के समय एक अजीब तरह की आवाज सुनाई देती है) शूsss...शूsss...(ध्यान से आवाज सुनता है) मां!...मां..फिर से वही अजीब आवाज!(डर से) मां, क्या आपको सुनाई दे रहा है??..राss..राहुल तुम्हें?.. यह वही आवाज है... जैसे मैंने कुछ साल पहले भी सुनी थी। हां राहुल....यह एक शापित आत्मा की आवाज है। वह अपनी शक्ति के प्रभाव से मनुष्य को अपनी ओर खींचता है। इसके कारण मनुष्य अपना नियंत्रण खो कर उसके वश में हो जाता है। और अब वह वही चाहती है। नहीं राहुल,....यह मेरे दिमाग का खेल नहीं है। यह एक शतरंज का खेल है,जो कुछ साल पहले मेरे साथ भी खेला गया था,लेकिन मैं उसके चंगुल से किसी तरह बच निकला। तब तुम बहुत छोटे थे। नहीं ...यह कोई हादसा नही था मां...बल्कि ये एक साजिश थी जिसमे मैं फंस गया था। और यही हकीकत है। अब एक और मासूम जिंदगी उसकी शिकार बनेगी ,मुझे पता हैं वह अब भी जरूर इसी मकसद से फिर यहां आ गई है। लेकिन मैं ऐसा होने नहीं दूंगा।