मैं-
बारिश का बूंद बना,
बड़ी दूर से-
चलकर आया हूं,
छत पर-
मिलने तुमआ जाना,
कोई छाता-
साथ में, मत लाना,
सराबोर!
भीगना मन भर तुम,
देखो-
ना ना, मत करना,
मन की-
उमस को, दूर करुंगा,
तन मन में-
शीतलता! मदमस्त भरुगा।
© ओंकार नाथ त्रिपाठी अशोक नगर बशारतपुर गोरखपुर।
(चित्र:साभार)