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मेरा बचपन
jayashri raju dandge
jayashri raju dandge
10th Jul, 2023

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मेरे बचपन के दिन भी कितने अच्छे थे।
बे जबाब भी थे और बेगुनाह भी थे।
घुमना, फिरना, दौडना,
और किसिको भी कुछ भी कह दैना।
समज नही था।
पर मॉ पापा समज लेते थे।
इसलिए मुझे बचपन के दिन बहुत याद आते है।
स्कूल जाना पढाई कम मौज मस्ती जादा कर लेते थे।
पढाई को तो छोड़ो यारो बाहर ही खेल कुद लेते थे।
बिना वजह किसी के भी कान खिच लेते थे।
और बाद में अध्यापिका के डाट खा लेते थे।
सचमे मुझे बचपन के दिन बहूत याद आते है।
अब हम बडे हो गये।
सारे दोस्त उसकी उसकी जिदंगी मे बिझी हो गये।
मॉ और पापा का परेशान हो जाना।
अध्यापिका की डाट,
दोस्तों की मिठ्ठी गाली,
गाँव वालो का परेशान हो जाना, और फिर मॉ के हाथो से पिटना।
ओ बचपन के दिन थे यारो
ओ कैसे भूल पाना।
जयश्री राजु दांडगे

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