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मंजिल बदल दी
O.N. Tripathi
9th Jul, 2023
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अब-
न मैं,
तेरा रास्ता,
देखूं!
और-
न तुम मेरा।
जैसे ही,
तुमने-
अपना!
रास्ता बदली,
मैंने भी,
अपनी-
मंजिल!
बदल दी है।
© ओंकार नाथ त्रिपाठी अशोक नगर बशारतपुर गोरखपुर।
(चित्र: साभार)
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O.N. Tripathi
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