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कहर
सौ.मेघा नांदखेडकर
6th Jul, 2023
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उनसे बिछडना क्या कहूॅं
बरसा गया कैसा कहर
पलपल मरके भी जिंदा है
मार ना पाया कोई जहर
कोशिश करके शामोसहर
बनाना चाहा दिल को पत्थर
पत्थर कबका पिघल गया
ऑंखे भी बन गयी समंदर
मेरी नजर में बन गये खुदा
वो करके बेइंतेहा प्यार
मगर मुझे खुदसे कर गये जुदा
उनकी जुदाई और इंतजार
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सौ.मेघा नांदखेडकर
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