कोई रोता हैं किसी को पा कर
कोई रोता हैं किसी को खो कर
हम ना तो खो सके ना ही पा सके
क्यूँ मारी जिंदगी ने ऐसी ठोकर ?
कोई किसी को अपनाता है
कोई बन जाता है किसी का अपना
ना कोई हमारा ना हम किसीके अपने
क्यूँ अधुरा ही रहा हर सपना?
कोई किसी से बिछडा तो
कोई किसी को बिन मॉंगे मिला
खुदसे ही बिछडकर मिल नहीं पाये
फिर किसी और से कैसा गिला?