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बतियाना रहा
O.N. Tripathi
O.N. Tripathi
3rd Jul, 2023

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आज-
बदलता रहा,
करवटें!
सारी रात।
आती रहीं-
एक के बाद,
एक एक करके,
तेरे साथ-
गुजरे पलों की,
सारी यादें।
मैं बतियाता रहा,
तुमसे-
उनींदी! आंखों में,
ख्वाब लिए।
चिड़ियों की,
चंहचआहट के साथ,
ध्यान टुटा,
तब, कुछ!
समझ न पाया,
याद!
मैं कर रहा था,
तुम्हें,या-
तुम कर रही थी
मुझे।
© ओंकार नाथ त्रिपाठी अशोक नगर बशारतपुर गोरखपुर उत्तरप्रदेश।
(चित्र:साभार)
बतियाना रहा

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