प्रेम त हल्का होला ढोवे खाती भारी ना होला,प्रेम त प्रेम होला प्राइवेट औरी सरकारी ना होला।
कहां सार बूझता केहू प्रेम के की हम बतावल करी,प्रेम में सब निछावर होला प्रेम में बेगारी ना होला। प्रेम त प्रेम होला -----
प्रेम त बहूते पातर होला गाढ़ ना होला,सितलता में चंदन होला अंगार ना होला, सांच पूछ त प्रेम निश्चल होला शिकारी ना होला।प्रेम त प्रेम होला ------
दोष केहू के ना बा,प्रेम के सब ना जानेला,करे के सब कर लेला बाकी प्रेम के सब ना मानेला। प्रेम में सब कुछ सहर्ष स्वीकार होला प्रेम में लाचारी ना होला।प्रेम त प्रेम होला -------
प्रेम में सब खुला होला प्रेम में कवनो केवारी ना होला,प्रेम त पूजा ह येकर सब अधिकारी ना होला,प्रेम होखें से पहिले के बात छोड़,प्रेम भईला के बाद प्रेमी,ना धनी होला नाही भिखारी होला। प्रेम त प्रेम होला -----