बहोत तडपता होगा दिल दोहरी जिंदगी जीते जीते
कितने दर्द सहकर भी जब ये हॅंसता होगा रोते रोते
खुशियों से छलकती ऑंखो में थोडी तो नमी होगी
सब कुछ पाकर भी जिंदगी में कुछ तो कमी होगी
दूर रहकर भी कभी एक पल भी ना भुला होगा
किसी अपने को खोने का अब तक गिला होगा
फिर हर जख्म अपना उसने खुद ही सिला होगा
बह रहा है खून तो जरुर कोई टॉंका ढिला होगा