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पेड़ जैसा ही
O.N. Tripathi
2nd Mar, 2023
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तेरी-
चाहत में,
टूट जाने के,
बाद भी,
मैं पेड़ जैसा ही,
खड़ा पड़ा हूं।
जिसके-
सूख जाने पर भी,
इसकी दरख्तें!
तेरे लिये-
सर्वथा!
उपयोगी ही रहेगी।
© ओंकार नाथ त्रिपाठी अशोक नगर बशारतपुर गोरखपुर उप्र।
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O.N. Tripathi
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