जब सपने आखों मे सजा लिये, मंजिले ख्वा ब बना लिये , जब होसले अपने तोड दिये अपनोने ही तो क्या करे ,
जब जिद पर अडे रहे कुछ करणे की सोच लिये , रुठ गये अपने ही तो क्या करे ,
गगन को छुना चाहा आसमान आपा चाहा काट दिये पंख अपनोने ही तो क्या करे |
, जग से स वरणा चाहा अपना अस्तित्व बनाना चाहा जग को बतलना चाहा , मुह बंद कर दिये अपनो ने ही तो क्या करे
हिम्मत हारी नही मैने हार मानना सिखा नाही अपनोकेही बोल चूभे बोहोत पर, गिरकर उठणा सीखा फिर से आसू बाहाये बोहत मैने ,
कमजोर हर गिज नहीं ; हिम्मत फिर से जुटाती रही अब तक हर मानी नहीं | लाख कोशी शे करे कोई मिटा कोई नहीं सकता
कमजोर सपने नाही मेरे असनिसे तूट नाही सकता सफलता की क्यू सोचे , अभी जंग अभी बाकी है | शुरुवात हो रही है , अभी पुरी कयामत अभी बाकी है|
Agarkar Prerna