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प्रेम....देह..
O.N. Tripathi
25th Jan, 2023
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तुमने-
कभी भी,
प्रेम!
के एवज में
देह!
नहीं परोसा।
यह-
मुझसे अच्छा,
किसे-
पता होगा?
और-
मेरा प्रेम भी,
देह !
के लालच से
सर्वथा!
विरत रहा,
यह-
तुमसे ज्यादा,
किसे-
पता होगा।
© ओंकार नाथ त्रिपाठी अशोक नगर बशारतपुर गोरखपुर उप्र।
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Written by
O.N. Tripathi
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