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डर
सौ.मेघा नांदखेडकर
24th Jan, 2023
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एक वक्त था जब अंधेरों से डरते थे तुम
पर अब उजालों बहोत से डरते हैं हम
क्योंकी अंधेरे में छुपा लेते हैं सारे गम
पर उजालों में ऑंसू कैसे छुपाये हम?
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सौ.मेघा नांदखेडकर
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