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अनुबंध नई
O.N. Tripathi
22nd Jan, 2023
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अब तो-
भूल रहे,
सब-
संगी साथी;
छोड़ रहे-
नित,रिश्ते नाते,
जब से!
पा ली है तुमने,
अभी-अभी!!
अनुबंध नयी,
सच मानो!
तबसे तुम तो,
तोड़ चुकी हो-
संबंध कई।
© ओंकार नाथ त्रिपाठी अशोक नगर बशारतपुर गोरखपुर उप्र।
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O.N. Tripathi
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