स्कूल वाला love भी क्या love था. एक दीन भी वो मुझे देखे बिना रह नहीं पाथा था अक्सर छुप छुप कर देखा करता था. वो मुझे.... मेरी नजरे जाणे के बाद. नजर चुराया करता था वो मुस्से. वो स्कूल वाला love भी क्या love था. केहणा तो बहुत कुच चाहता था वो मुझे पर कभी केहणी पाता था कभी मेरे गुस्से को देख कर तो कभी बडी बडी आखों से मेरे ओ डरता था वो स्कूल वाला love भी क्या love था.
अक्सर मुझे मनाने की बहुत सोचता था वो. दोस्तों के साथ मिलकर प्लॅन भी करता था वो. पर मेरी आखों से बहुत डरता था वो..... पता नही मुझ मे यसा था भी क्या जो हर वक्त वो मुझे मनाने के बारे मे वो सोचता राहता था. वो स्कूल वाला love भी क्या love था
कभी स्कूल मे नहीं जाती थी मै तो. वो बार बार खिडकी से देखा करता था अगर नहीं दिखी मै तो मेरी सेहली वो. से पुछा करता था पर मुझे उस में कोही इंट्रेस नहीं था. ओ स्कूल वाला love भी क्या love था
मुझे हसाने के लिये ओ कुच भी करता था. मुझे हसता हुआ देख ओ भी मुस्कुराता था. पता नहीं मुझे मनाने की चक्कर मे मुस्से ओ कितनी गालिया खाता था. न जाणे मुझे प्यार मैं इंट्रेस ही नहीं था. मैं उसे अपणा भाई और ओ मुझे अपणी क्रश मानता था वो स्कूल वाला love भी क्या love था
कु. रुचिता विलासराव निकम
रा. तळणी