अंधेरी रात थी
तारों की बारात थी
एक परी आई
वो एक छड़ी लाई
सुन्दर,लाल,सुनहरी
तभी उसने छड़ी घुमाई
सुनहरी किरण चमकी
मेरी आँखें ख़ुशी से दमकी
अरे भाई!
ये तो मेरी बेटी थी
कोई -परी से कम थी
मेरी आँखें ख़ुशी से छलक आई
बेटी परी से कम नही भाई
क्या मेरी बात समझ में आई
एक परी आई
देखो देखो आपके
घर भी प्यारी सी परी होगी
बेटी भी परी होती है
बेटों से भी खरी होती है
सच कहता हूँ,प्यार और सम्मान दो उसे
ये वो परी होती है जो
घर में खुशहाली लाती हैं
सब की खिदमत कर के
घर को जन्नत बनाती हैं
बेटी भी परी होती है
बेटों से भी खरी होती है ।।
NJ Writes...