ये क्या बेबसी है
ये कैसी है तन्हाई,
आंखों को नम कर गई
फिर उसकी परछाई,
मालूम है मुझे
तेरी वापसी की
अब कोई डगर नहीं,
इंतज़ार दिल करना
मगर छोड़ता नहीं,
उम्मीद है मिलोगे
इस पार नहीं
उस पार सही,
इस निशा की होगी
भोर कहीं न कहीं,
अगर रोकर
भुलाई जाती यादें
तो हंसकर कोई
ग़म न छुपाता,
शिकायत दर्द से कैसी
इस ग़म ने तो
हमें पाला है,
कितने राज दफन
सीने में दब पर
आकर चुप हो जाते हैं,
मन का दर्द सहा कैसे
आंसू भी कहां
समझ पाते हैं,
गहराती खामोशियां
बस यही साथ है ,
तेरे जाने के बाद
दर्द इतना था जिंदगी में
धड़कन साथ देने से
घबरा गई,
आंखें बंद थी मेरी
तेरी याद में और
मौत धोखा खा गई,
नींद भी हुई पराई है
मिलीं जब से
जुदाई है,
बहुत करीब से देखा है
किसी को दूर जाते हुए,
बहुत दूर जा चुके हों
बहुत मुश्किल है
अब तूझे पाना ,
हो सके तो याद रखना
हो सके तो याद आना,
कुछ खूबसूरत पलों
की महकती सी
है तेरी यादें,
सुकून ये भी है कि
कभी मुरझाती नहीं,
वो भी क्या दिन थे
कितना हंसते और
बोलते थे तुम
अब तो हर तरफ
सिर्फ ख़ामोशी है,
किसी के आने या
जाने से जिंदगी
नहीं रूकती बस
जीने का अंदाज़
बदल जाता है ।
मंजू ओमर
झांसी
3 अगस्त 22
रचना पूर्णतया मौलिक और स्वरचित है