"मैंने कहा उस गौरैया से
कहीं रह लो
इधर -उधर उस कोने में
उस रोशनदान पर
या घर के गार्डन में खड़े आम या अमरूद
के पेड़ पर यह सारा घर तुम्हारा ही तो है
वह फुदकती तिनके जोड़ती हुई गौरैया
क्षण भर रूकी,कुछ सोचा
फिर जोर से हंस पड़ी मेरी बातों पर
और चूं-चूं करती हुई मुझे जवाब दिया
तुम क्या जानो
अपने द्वारा बनाए गए घर का सुख!"