काश कोई समझने वाला होता,
काश कोई समझाने वाला होता
काश ये जीवन भातुकलि का खेल होता
क्योंकि उसमे कोई भी सच्ची हकिगत नहीं होती
कोई भी वादे कोई भी कसमे नहीं होती
बस सभी हकिगत झूठ होती हे
काश हम हमेशा बचपन मे हि रहते
क्या खूब थे वो बचपन के दिन
काश हमेशा वैसे हि होते