सरहदों की मिट्टी दो तरफ़ लाल है ।
लेकीन फ़रक इतना सा है ,
इस तरफ़ का खून तिरंगे की शान है ।
पुछ आओ उस मिट्टी से जिस पर बहा वह लहू हम
भारतीयों की जान है ।
अपनी माॅ का प्यार फिका लगता है उन वीर जवानों को झेलते हैं छाती पर वार हम सब की माॅ के लिए वो ।
🇮🇳 ऐसी ताकद को सलाम है 🇮🇳
लेखक :- शुभम ज्योती चव्हाण